- Dr Ravi Prakash Mathur
- Nov 9, 2023
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Updated: Nov 12, 2023
मैनें बड़ी अविनयशीलता से अपना प्रश्न गुरूजी के सामने रखा, "आपकी गायत्री क्या दे सकती है?" गुरूदेव ने पूछा, "आप क्या चाहते हैं" मैनें कहा, "क्या पैसे दे सकती है ?" फिर गुरूंदेव मौन हो गये और अपनी जगह से उठे, उन्होनें पीठ के पीछे से एक चंदन की माला निकाली और एक पतली सी पुस्तक साथ में ले आये। बड़े संतुलन से मुझे देते हुए और अकिंचन मुस्कुराहट के साथ बोले, "गायत्री धन दे सकती है। इसके लिए अब गायत्री स्तवन का पाठ , इसके बाद दो माला गायत्री मंत्र की तथा गायत्री स्तवन का एक पाठ इस क्रम में प्रतिदिन करना। “मैं चुप रहा, उन्होनें फिर प्रश्न , किया, “आपको क्या तनख्वाह मिलती है ?" मैं पहले ही बता चुका था कि मैं रासायनिक परीक्षक प्रयोगशाला में हूँ , और मैनें अपनी तनख्वाह का उल्लेख किया। गुरूदेव ने कहा – कितने घंटे का काम है? मैनें उत्तर दिया - "सरकारी नौकर 24 घंटे का होता है। कार्यालय में लगभग 6-7 घंटे काम करना होता है। वे बोले, “आपको यह करने में नित्य आधा घंटा लगेगा आप इसको नियम से करें। मैं जानता हूँ आप जो नियम ले लेते हैं, वह पूरा करते हैं।" धीरे से वह आपसे तुम पर आ गये। “तुम्हें इस प्रयोग को करने तक इस रास्ते को दृढ़ता से पकड़ना पड़ेगा। गायत्री तुम्हारी आर्थिक उन्नति कर देगी।” फिर धीरे से वह तुम से आप पर आ गये और बोले, “आपकी आठ घंटे की मजदूरी मैं पहले ही दे देता हूँ ।” डेस्क खोलकर वह कुछ गिनना चाहते थे। मैं थोड़ा सा संभला, क्योंकि सब . कुछ मेरी धारणा के प्रतिकूल हो रहा था। मैं सोचकर गया था कि मथुरा के साधु तो पैसे ठगते हैं, चढ़ावा चढ़वाते हैं, दर्शन कराई के भी पैसे लेते हैं। फिर मैं अपने को थोड़ा सा स्वाभिमानी मानता था और पैसा कैसे ले लेता। मैनें बड़ी दृढ़ता से कहा, “मुझे धन की आवश्यकता नहीं है। मुझे जैसा पहले से बताया गया है, करूँगा और नियम से करूँगा। किसी भी परिस्थिति में यह छूटेगा नहीं , और जैसा आपने बताया, वैसा विश्वास भी रहेगा। सब कुछ वाह्य भक्ति के रूप में।” गुरूदेव मुस्कुराये, मैने माला ली, पुस्तक ली, चरण स्पर्श करने में मन आना-कानी कर रहा था, पर चरण स्पर्श किया। गुरूदेव ने एक मुस्कुराहट बिखेरते हुए कहा, "परमात्मा, आत्मा और अन्तरात्मा इन तीनों की एक ही गायत्री हैं। इसके बाद पुनः चरण स्पर्श किये और हम तीनों जनें लौट आये।
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